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Shayari for WhatsApp Status

Love Shayari

“वो मुझे चाहते हैं तो ज़रूरी नहीं कि मैं भी उन्हें चाहूँ,

कभी-कभी इश्क़ के ख़्वाबों में जीना भी मोहब्बत होता है।”

“जब कोई अपना हो जाता है तो ज़िन्दगी में ख़ुशियों की कोई कमी नहीं रहती।”

“तुम मेरे लिए एक महत्वपूर्ण इंसान हो, जो मेरी ज़िन्दगी को ख़ुशी से भर देता है।”

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तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है,
दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम,
मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
Tere Khayal Se Khud Ko Chhupa Ke Dekha Hai,
Dil-o-Najar Ko Rula-Rula Ke Dekha Hai,
Tu Nahi To Kuchh Bhi Nahi Hai Teri Kasam,
Maine Kuchh Pal Tujhe Bhula Ke Dekha Hai.

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हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे,
आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे,
बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो,
हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे।
Hum Aapki Har Cheez Se Pyar Kar Lenge,
Aapki Har Baat Par Aitbaar Kar Lenge,
Bas Ek Bar Keh Do Ki Tum Sirf Mere Ho,
Hum Zindagi Bhar AapKa Intezaar Kar Lenge.

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कुछ सोचता हूँ तो तेरा ख्याल आ जाता है,
कुछ बोलता हूँ तो तेरा नाम आ जाता है,
कब तक छुपा के रखूं दिल की बात को,
तेरी हर अदा पर मुझे प्यार आ जाता है।
Kuchh Sochta Hoon To Tera Khayal Aa Jata Hai,
Kuchh Bolta Hoon To Tera Naam Aa Jata Hai,
Kab Tak Chhupa Ke Rakhun Dil Ki Baat Ko,
Teri Har Adaa Par Mujhe Pyar Aa Jata Hai.

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मुझे खामोश राहों में तेरा साथ चाहिए,
मेरा हाथ तन्हा है तेरा हाथ चाहिए,
हसरत-ए-ज़िन्दगी को तेरी ही सौगात चाहिए,
मुझे जीने के लिए तेरा ही बस साथ चाहिए।
Mujhe Khamosh Raahon Mein Tera Saath Chahiye,
Mera Haath Tanha Hai Tera Haath Chahiye,
Hasrat-e-Zindagi Ko Teri Hi Saugaat Chahiye,
Mujhe Jeene Ke Liye Tera Hi Bas Saath Chahiye.

 

अगर इश्क करो तो आदाब-ए-वफ़ा भी सीखो,
ये चंद दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती।
Agar Ishq Karo To Aadaab-e-Wafa Bhi Seekho,
Yeh Chand Din Ki Bekaraari Mohabbat Nahin Hoti.

 

जान-ए-मन काम तो अच्छा है मोहब्बत लेकिन,
हमको इस काम के अंजाम से डर लगता है।
Jaan-e-Mann Kaam To Achchha Hai Mohabbat Lekin,
Hum Ko Is Kaam Ke Anjaam Se Darr Lagta Hai.

 

जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए,
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए।
Jaagne Ki Bhi Jagaane Ki Bhi Aadat Ho Jaye,
Kaash Tujhko Kisi Shayar Se Mohabbat Ho Jaye.

Latest Shayaris for Facebook Status

Facebook is another popular social media platform that can be used to share Shayari with a wider audience. Here are some of the latest शायरी in Hindi that you can use as your Facebook status:

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद,
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद।
Duniya Ke Sitam Yaad Na Apni Hi Wafa Yaad,
Ab Mujhko Nahi Kuchh Bhi Mohabbat Ke Siwa Yaad.

 

जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से करता चला गया,
मीठा सा नश्तर दिल में उतरता चला गया।
Jadoo Woh Lafz Lafz Se Karta Chala Gaya,
Meetha Sa Nashtar Dil Mein Utarta Chala Gaya.

 

मैंने जान बचा के रखी है अपनी जान के लिए,
इतना प्यार कैसे हो गया एक अनजान के लिए।
Maine Jaan Bacha Ke Rakhi Hai Apni Jaan Ke Liye,
Itna Pyar Kaise Ho Gaya Ek Anjaan Ke Liye.

 

नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो,
मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो,
मैं अपनी सोच को तेरी गली में छोड़ आया हूँ,
मेरे वजूद को ख़्वाबों के घर में रहने दो।
Nahi Jo Dil Mein Jagah To Najar Mein Rehne Do,
Meri Hayaat Ko Tum Apne Asar Mein Rehne Do,
Main Apni Soch Ko Teri Gali Mein Chhod Aaya Hun,
Mere Wajood Ko Khwabon Ke Ghar Mein Rehne Do.

 

प्यार उस से इस कदर करता चला जाऊं,
वो ज़ख्म दे और मैं भरता चला जाऊं,
उस की ज़िद है कि वो मुझे मार ही डाले,
तो मेरी भी ज़िद है कि उसपे मरता चला जाऊं।
Pyar Uss Se Iss Qadar Karta Chala Jaaun,
Wo Zakhm De Aur Main Bharta Chala Jaaun,
Uss Ki Zid Hai Ki Wo Mujhe Maar Hi Dale,
To Meri Bhi Zid Hai Ki Uspe Marta Chala Jaaun.

 

बदल जाओ वक्त के साथ
या फिर वक्त बदलना सीखो
मजबूरियों को मत कोसो
हर हाल में चलना सीखो

 

सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है,
उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है।

 

लिखना था कि
खुश हैं तेरे बगैर भी यहां हम,
मगर कमबख्त…
आंसू हैं कि कलम से
पहले ही चल दिए।

 

तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो,
दिल मेरा था और धड़क रहा था वो।
प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है,
आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो।

 

अब जानेमन तू तो नहीं,
शिकवा -ए-गम किससे कहें
या चुप हें या रो पड़ें,
किस्सा-ए-गम किससे कहें।

 

जो दिल के करीब थे ,वो जबसे दुश्मन हो गए
जमाने में हुए चर्चे ,हम मशहूर हो गए

 

अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो

 

सिर्फ एक सफ़ाह
पलटकर उसने,
बीती बातों की दुहाई दी है।
फिर वहीं लौट के जाना होगा,
यार ने कैसी
रिहाई दी है।
-गुलज़ार

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बैठे-बिठाए हाल-ए-दिल-ज़ार खुल गया
मैं आज उसके सामने बैठकर बेकार खुल गया। -मुनव्वर राणा

 

जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं है,
वो दिल नहीं है, दिल नहीं है, दिल नहीं है।

 

बहुत कुछ है जिसे मैं फूंक देना चाहता हूं…

 

तुम ज़माने के हो हमारे सिवाय
हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं

 

तुम ज़माने के हो हमारे सिवाय
हम किसी के नहीं, तुम्हारे हैं

 

वो छोटी-छोटी उड़ानों पे गुरूर नहीं करता
जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है

 

मेरे बारे में कोई राय मत बनाना ग़ालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा तेरी राय भी…!

 

एक आंसू भी
हुकूमत के लिए ख़तरा है
तुम ने देखा नहीं
आंखों का समुंदर होना
-मुनव्वर राणा

 

मैं तो इस वास्ते चुप हूं कि तमाशा न बने
और तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं!

 

चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआं।
-गुलजार

 

छोड़ दिया मैंने अपने दिल का साथ,
प्यार ने थाम लिया है तनहाई का हाथ।
इतना तो गुरूर है मुझे आज
भले अहसासों ने छोड़ा, तनहाई न होगी दगाबाज़।

 

तमु लौटकर आने की तकलीफ दोबारा मत करना,
हम एक बार की गई मोहब्बत दोबारा नहीं करते!

 

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।

 

ख्वाहिशों से भरा पड़ा है मेरा घर इस कदर
रिश्ते जरा-सी जगह को तरसते हैं।

 

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है

 

मिल सके जो आसानी से
उसकी ख्वाहिश किसे है
जिद्द तो उसकी है जो
मुकद्दर में लिखा ही नहीं है।

 

परवाने को शमा पर जलकर
कुछ तो मिलता होगा
यूं ही मरने के लिए कोई
मोहब्बत नहीं करता…

 

दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं।
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रू-ब-रू होने पर सलाम किया करते हैं।

 

या खुदा रेत के सेहरा को समंदर कर दे
या छलकती हुई आंखों को भी पत्थर कर दे।

 

मुझे खामोश देखकर इतना
क्यों हैरान होते हो ऐ दोस्तो
कुछ नहीं हुआ है बस
भरोसा करके धोखा खाया है!

 

हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाएंगे
अभी कुछ बेकरारी है, सितारों तुम तो सो जाओ…।

 

शिकवा करूं तो किससे करूं,
ये अपना मुकद्दर है अपनी ही लकीरें हैं।

 

ना कर तू इतनी कोशिशें मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क कर, फिर चोट खा,
फिर लिख,दवा मेरे दर्द की।

 

हाल-ए-दिल नहीं मालूम इस कदर यानी
हमने बार-हा ढूंढा तुमने बार-हा पाया।

 

सांस लेना भी कैसी आदत है
जिए जाना भी क्या रवायत है

 

टूट जाएगी तुम्हारी जिद की आदत उस दिन,
जब पता चलेगा कि याद करने वाला अब याद बन गया!

 

खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं,
जरा-सा हंस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछते हैं।

 

झूठ बोलकर तो मैं भी दरिया पार कर जाता,
डुबो दिया मुझे सच बोलने की आदत ने…

 

अब आपकी मर्जी है संभालें न संभालें।
खुशबू की तरह आपके रुमाल में हम हैं।

 

तुमसे बिछड़ा तो पसन्द आ गयी बेतरतीबी,
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था!

 

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक,
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ के सर होने तक!

 

अब कयामत से क्या डरे कोई, अब कयामत रोज आती है
भागता हूं मैं ज़िंदगी से खुमार, और नागिन डेसे ही जाती है

 

उलफत के मारों से न पूछो आलम इंतजार का
पतझड़ सी है जिंदगी और खयाल बहार का।

 

दिल तोड़कर वो मेरा खश हैं
तो शिकायत कैसी…
अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं
तो फिर ये मोहब्बत कैसी…

 

हम तो मजाक में भी किसी को
दर्द देने से डरते हैं
न जाने लोग कैसे सोच-समझकर
दिलों से खेल जाते हैं

 

एक न इक रोज़ तो होना है ये जब हो जाए,
इश्क का कोई भरोसा नहीं कब हो जाए।

 

गहरी बात
चंद रातों के ख्वाब उम्र भर की नींद मांगते हैं।

 

उधर वो बद-गुमानी है, इधर ये ना-तवानी है
न पूछा जाए उससे और न बोला जाए मुझसे।- मिर्जा गालिब

 

मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह,
जी ख़ुश तो हो गया मगर आंसू निकल पड़े- क़ैफी आजमी

 

इसी में इश्क़ की क़िस्मत बदल भी सकती थी,
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में।

 

बहुत दूर मगर बहुत पास रहते हो
आंखों से दूर मगर दिल के पास रहते हो
मुझे बस इतना बता दो
क्या तुम भी मेरे बिना उदास रहते हो

 

कभी हम पर वो जान दिया करते थे
जो हम कहते थे, मान लिया करते थे
अब पास से अनजान बनकर गुजर जाते हैं
जो कभी दूर से ही हमें पहचान लिया करते थे

 

तेरा वजूद तेरी शख्सियत, कहानी क्या
किसी के काम न आए तो जिंदगानी क्या
हवस है जिस्म की, आंखों से प्यार गायब है
बदल गए हैं सभी इश्क के मआनी क्या

 

हर आईने की किस्मत में तस्वीर नहीं होती
हर किसी की एक जैसी तकदीर नहीं होती
बहुत खुश नसीब हैं वो जिनके हाथों में
मिलने के बाद बिछड़ने की लकीर नहीं होती

 

नजरें मिले तो प्यार हो जाता है
पलकें उठे तो इजहार हो जाता है
न जाने क्या कशिश है चाहत में
के कोई अंजान भी हमारी
जिंदगी का हकदार हो जाता है

 

तुम चाहो या न चाहो, इसका गम नहीं
तुम पास से गुजर जाओ, तो चाहत से कम नहीं
माना के मेरी चाहतों की तुम्हें कद्र नहीं
कद्र मेरी उनसे पूछो, जिन्हें मैं हासिल नहीं

 

जरा नजरों से देख लिया होता,
अगर तमन्ना थी डराने की…
हम यूं ही बेहोश हो जाते,
क्या जरूरत थी मुस्कुराने की!!

 

वक्त बदलता है जिंदगी के साथ
जिंदगी बदलती है मोहब्बत के साथ
मोहब्बत नहीं बदलती अपनों के साथ
बस अपने बदल जाते हैं वक्त के साथ

 

खुल सकती हैं गांठें, बस जरा से जतन से…
पर लोग कैंचियां चलाकर, सारा फसाना बदल देते हैं।

 

समझदार एक मैं हूं बाकि सब नादान।
बस इसी भ्रम में घूम रहा आजकल हर इंसान।

 

समझदार एक मैं हूं बाकि सब नादान।
बस इसी भ्रम में घूम रहा आजकल हर इंसान।

 

उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।

 

दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आजकल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत

 

दिल को तेरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है,
और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता

 

दिन सलीके से उगा रात ठिकाने से रही,
दोस्ती अपनी भी कुछ रोज़ ज़माने से रही

 

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना,
जहां दरिया समंदर से मिला दरिया नहीं रहता

 

ख़ामोश ज़िन्दगी जो बसर कर रहे हैं हम,
गहरे समंदरों में सफर कर रहे हैं हम

दिल भी तोड़ा तो सलीक़े से ना तोड़ा तुमने,
बेवफ़ाई के भी कुछ आदाब हुआ करते हैं

 

खुशियां देते वक्त अक्सर खुद ग़म में मर जाते हैं
रेशम देने वाले कीड़े रेशम में मर जाते हैं

 

आज भी दिल्ली में कुछ लोग हैं ऐसे कि जिन्हें
‘आप’ कहकर जो पुकारो तो बुरा मानते हैं

 

बुलंदियों का बड़े से बड़ा निशान छुआ,
उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ!

 

कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते

 

ऐ आसमां तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़,
डरते हैं ऐ ज़मीन तेरे आदमी से हम

 

कुछ ज़ुल्म-ओ-सितम सहने की आदत भी है
हमको कुछ ये है कि दरबार में सुनवाई भी कम है

 

हमारी बेबसी शहरों की दीवारों पे चिपकी है
हमें ढूंढेगी कल दुनिया पुराने इश्तिहारों में

 

अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है?
जो भी निकलेगा वो पूछेगा ही, कीमत क्या है…

 

आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तौलें,
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं।

 

हुकूमत पर्दा-पोशी में बहुत मसरूफ़ है लेकिन,
कहां से आ रहा है ये धुआं, बच्चे समझते हैं।

 

मेरे जुनून का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा

 

मेरे जुनून का नतीजा ज़रूर निकलेगा
इसी सियाह समंदर से नूर निकलेगा

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है, किस छत को भिगोना है…

 

जिंदगी किस क़दर आसां होती
रिश्ते गर होते लिबास
और बदल लेते क़मीज़ों की तरह…

 

चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है,
हमको अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है

 

तू जो चाहे तो तेरा झूठ भी बिक सकता है,
शर्त इतनी है, सोने का तराज़ू रख ले

 

लबों पर उसके कभी बददुआ नहीं होती,
बस एक मां है, जो कभी ख़फ़ा नहीं होती।

 

शराफतों की यहां कोई अहमियत ही नहीं,
किसी का कुछ न बिगाड़ो तो कौन डरता है।

 

वह अक्लमंद कभी जोश में नहीं आता,
गले तो लगता है, आगोश में नहीं आता।

 

हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो,
हमारा शहर तो यूं ही रास्ते में आया था।

 

आओ सारे पहन लें आइने,
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा।

 

खोते हैं अगर जान तो खो लेने दे,
ऐसे में जो हो पाएगा वो हो लेने दे।
इक उम्र पड़ी है सब्र भी कर लेंगे,
इस वक्त तो जी भरके रो लेने दे।

 

कुछ लोग ख्यालों से चले जाएं तो सोएं,
बीते हुए दिन-रात न याद आएं तो सोएं।

 

तलब करें तो ये आंखें भी उनको दे दें हम,
मगर वो तो इन आंखों के ख्वाब मांगते हैं…

 

ज़िन्दगी ने झेले हैं सब अज़ाब दुनिया के
बस रहे हैं दिल में फिर भी ख्वाब दुनिया के

 

तुम हकीकत को लिए बैठे हो तो बैठे रहो,
ये ज़माना है इसे हर दिन फ़साने चाहिए।

 

बहुत दिनों से इन आंखों को यही समझा रहा हूं मैं,
ये दुनिया है, यहां तो इक तमाशा रोज़ होता है…

 

ज़मीं किसी की नहीं आसमां किसी का नहीं,
ना कर मलाल कि कोई यहां किसी का नहीं

 

सर जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते
हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते

 

बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है,
बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है

 

बेहतर दिनों की आस लगाते हुए ‘हबीब’
हम बेहतरीन दिन भी गंवाते चले गए

 

जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना
मिलना-जुलना जहां ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौंसला रखना

 

मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त
मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी ना सकूँ

 

इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होठों पे लतीफ़े हैं, आवाज़ में छाले हैं

 

रोज़-रोज़ गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूं,
ऐ मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूं

 

उसके दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा,
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

 

शुक्र करो हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं,
वरना काग़ज़ों पर लफ्ज़ों के जनाज़े उठते

 

बदला ना अपने आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे

 

ऐसा कहां कि शहर के मंज़र बदल गए
मंज़र वही हैं सिर्फ़ सितमगर बदल गए

 

बात बहुत मामूली-सी थी उलझ गई तकरारों में
एक ज़रा-सी ज़िद ने आखिर दोनों को बर्बाद किया

 

तमाम उम्र हम एक-दूसरे से लड़ते रहे,
मगर मरे तो बराबर में जाके लेट गए

 

खुद पुकारेगी मंज़िल तो ठहर जाऊंगा,
वरना खुद्दार मुसाफ़िर हूं गुज़र जाऊंगा…

 

नफ़रतों की जंग में देखो ये क्या-क्या हो गया,
सब्जियां हिंदू हुईं, बकरा मुसलमां हो गया…

 

दुश्मनी लाख सही, खत्म न कीजे रिश्ता,
दिल मिलें या न मिलें हाथ मिलाते रहिए

 

उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक़,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

 

याददाश्त का कमजोर होना उतना भी बुरा नहीं..
बड़े बैचेन रहते हैं वो जिन्हें हर बात याद रहती है

 

अब हवाएं ही करेंगी रोशनी का फ़ैसला,
जिस दीये में जान होगी, वो दीया रह जाएगा…

 

बहुत हसीन-सी बातें, नफ़ीस-सा लहज़ा,
जब दिखे समझिये कि झूठ का पुलिंदा है

 

ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैंने,
बस एक शख़्स को मांगा, मुझे वो भी ना मिला…

 

उसकी याद आई है सांसो, ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल होता है

 

ग़ैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की,
जब होता है कोई हमदम होता है…

 

दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे-मारे लोग,
जो होता है सह लेते हैं, कैसे हैं बेचारे लोग

 

मेरी ख़्वाहिश है कि आंगन में ना दीवार उठे,
मेरे भाई मेरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले

 

साहिल के सुकून से किसे इनकार है लेकिन,
तूफ़ान से लड़ने में, मज़ा ही कुछ और है

 

हर एक बात को चुपचाप क्यों सुना जाए?
कभी तो हौंसला कर के नहीं कहा जाए.

 

चलती-फिरती हुई आंखों से अज़ां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी, मां देखी है…

 

दिल नाउम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है,
लंबी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

 

तू भी आईने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया

 

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

 

याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सबकुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है

 

रातों को चलती हैं मोबाइल पर उंगलियां,
सीने पर किताबें रखकर सोए काफी वक्त हो गया

 

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर,
लोग साथ आते गए, कारवां बनता गया

 

हर आदमी में होते हैं दस-बीस आदमी,
जिसको भी देखना हो कई बार देखना

 

जिसको खुश रहने के सामान मयस्सर सब हों,
उसको खुश रहना भी आए ये ज़रूरी तो नहीं

 

उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवाओं में,
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

 

नए दौर के नए ख़्वाब हैं,
नए मौसमों के गुलाब हैं ये मोहब्बतों के चराग़ हैं,
इन्हें नफरतों की हवा न दो

 

वक्त रहता नहीं कहीं टिक करआदत इसकी भी आदमी-सी है

 

मांगकर तुझसे खुशी लूं मुझे मंज़ूर नहीं,
किस का मांगी हुई दौलत से भला होता है

 

तेरे आने की क्या उम्मीद मगर,
कैसे कह दूं कि इंतज़ार नहीं

 

मौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफसोस,
यूं तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए

 

कौन समझे शेर ये कैसे हैं और कैसे नहीं,
दिल समझता है कि जैसे दिल में थे वैसे नहीं

 

कभी हंसना, कभी रोना, कभी हैरान हो जाना,
मोहब्बत क्या भले चंगे को दीवाना बनाती है

 

गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में,
वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चले

 

हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता

 

मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए कारवां बनता गया…

 

एक ही ख्वाब ने सारी रात जगाया,
मैंने हर करवट सोने की कोशिश की है…

 

कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं…

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